
सरकार की प्रस्तावित ई-कॉमर्स नीति के लागू होने पर ई-कॉमर्स कंपनियां उपभोक्ताओं के साथ आसानी से धोखा नहीं कर पाएंगी। नीति लागू होने पर ई-कॉमर्स कंपनियों को अपनी वेबसाइट पर सेवा व बिक्री शर्तों से जुड़ी डिटेल आम उपभोक्ताओं के समझने लायक भाषा में देनी होगी। ग्राहकों की निजी जानकारी के बारे में पूछने से पहले ई-कॉमर्स कंपनियों को यह बताना होगा कि यह जानकारी (डाटा) क्यों ली जा रही है। कंपनियों को ग्राहकों को यह भी बताना होगा कि उत्पादों की सप्लाई करने वाले वेंडर के साथ कंपनी किस शर्त पर काम कर रही है। अभी ई-कॉमर्स साइट पर ग्राहकों को यह पता नहीं चलता है कि जो सामान वह खरीद रहा है, उसे किसने बनाया है, उसके घर पर सामान की डिलिवरी किस कंपनी की तरफ से होगी। अब ग्राहकों को इन तमाम चीजों की जानकारी दी जाएगी। अभी नहीं है कोई नीति वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की तरफ से ई-कॉमर्स की नीति के लिए तैयार किए गए ड्राफ्ट में इन बातों का जिक्र किया गया है। भारत में अब तक ई-कॉमर्स को लेकर कोई नीति नहीं है। मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक नीति को लागू करने की समय सीमा तय नहीं की गई है। मंत्रालय के मुताबिक वर्ष 2022 तक भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था का आकार 1 ट्रिलियन डॉलर का हो जाएगा। वर्ष 2030 तक आधी भारतीय अर्थव्यवस्था डिजिटल होगी। 42 फीसदी बढ़ी ई कॉमर्स कंपनियों की शिकायतें उपभोक्ता मामले मंत्रालय की तरफ से चालू संसद सत्र में संसद दी गई जानकारी के मुताबिक पिछले एक साल में ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ दर्ज होने वाली शिकायतों की संख्या में 42 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। वहीं पिछले चार सालों में ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ दर्ज होने वाली शिकायतों में 15 गुना इजाफा हुआ है।
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